श्रीराम जन्मभूमिअयोध्या

 भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन धार्मिक नगर  है. अयोध्या हिंदुओं के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इसे मनु ने अयोध्या नाम से बसाया था जिसका अर्थ होता है जिसे युद्ध करके हासिल न किया जा सके. अथर्ववेद (Atharvaveda) इसका उल्लेख देवताओं के अजेय शहर के रूप में करता है. अयोध्या, जिसे साकेत (Saketa) के नाम से भी जाना जाता है, भगवान राम का जन्मस्थान  माना  जाता है. रामायण में अयोध्या को प्राचीन कोसल  साम्राज्य की राजधानी कहा गया है। इसलिए इसे कोसल भी कहा जाता था. आदि पुराण में कहा गया है कि अयोध्या अपनी समृद्धि और अच्छे कौशल के कारण सु-कोशल के रूप में प्रसिद्ध है. राम के जन्मस्थान के रूप में मान्यता के कारण, अयोध्या को हिंदुओं के लिए सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से एक माना गया है. ब्रह्माण्ड पुराण के एक श्लोक में अयोध्या का नाम सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण नगरों में है. गरुड़ पुराण  में, अयोध्या को भारत में हिंदुओं के लिए सात सबसे पवित्र स्थानों में से एक कहा जाता है. 


मंदिर में रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा के लिए 22 जनवरी 2024 की तारीख सुनिश्चित की गई है. अयोध्या में भव्य राम मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा सात हजार विशेष अतिथि और चार हजार संतों की मौजूदगी में पौष मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी तिथि यानी 22 जनवरी 2024 को होगी.






राम मंदिर करीब ढाई एकड़ में तैयार किया जा रहा है. अगर इसमें 'परिक्रमा पथ' भी जोड़ लिया जाए तो ये पूरा परिसर आठ एकड़ का हो जाता है. मंदिर को परंपरागत नागर शैली में तैयार किया जा रहा है. ये मंदिर तीन मंजिला होगा और इसकी ऊंचाई 162 फीट होगी

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